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हरदेव बाग़ की प्रगति का इतिहास

सर्वप्रथम मैं हरिसिंह “अरुण” लाम्बा हरदेव बाग़ एवं उद्यान नर्सरी की सरंचना की परियोजना की परिकल्पना करने वाले, दिशा निर्देशन करने वाले बाग़ के संस्थापक अपने परम आदरणीय दिवंगत पिता श्री चौधरी हरदेवा राम जी लाम्बा को शत-शत नमन करता हूँ, जिन्होंने हमें कृषि की आधार भूत सरंचना दी और प्यार, प्रेम, अपनत्व, शिक्षा, सहयोग, सानिध्य, विश्वास, और दिशा निर्देशन अपने जीवन की 102 वर्ष की आयु तक निरंतर देते रहे। जिन्होंने अपना जीवन खेती को समर्पित किया मुझे एम्. ए.(अर्थ शास्त्र) तक शिक्षा दिलाई और मैं राजस्थान सरकार के राजस्व विभाग में ३८ साल तक पटवारी व राजस्व निरीक्षक पद पर सेवा के साथ साथ खेती को परम्परागत तरीके से निकालकर मेरे शिक्षित पुत्रों ध्रुव रजनीश लाम्बा (डबल एम्. ए.) मनु विक्रांत लाम्बा (एम्. ए. बी. एड.) के लगन मेहनत और बागवानी के प्रति रुझान के बल पर खेती की प्रतिकूल परीस्थिति यथा अनाज के कृषक प्रतिकूल मूल्य सूचकांक व जुताई, बिजाई, खाद बीज, कीट नाशक, निराई, फसल कटाई, महंगी मजदूरी, थ्रेसर, सिंचाई, आदि की अधिक लागत व पानी के गिरते जलस्तर की समस्या पर लगाम लगाते हुए समय के अनुसार परिवर्तन की आवश्यकता समझते हुए सन् २००६ से फलदार पेड़ लगाने शुरू कर आज 4000 पेड़ लगाकर एक सुन्दर बाग़ का रूप दे चुके है जो शेखावाटी के सबसे बड़े सघन बाग़ का स्थान ले चुका है।-श्री हरिसिंह ‘अरुण’ लाम्बा

हरदेव बाग़ की सरंचना

हरदेव बाग़ 4 हैक्टेयर अर्थात् 10 एकड़ अर्थात् 35 बीघा में विस्तारित है बाग़ में निम्न भांति के फलदार वृक्ष है –

बील पत्र – 600, मौसमी – 1400, किन्नू  – 150, अनार – 650, नीम्बू – 1200

पेड़ सघन बागवानी रूप से लगाए गये हैं, ताकि सीमित भूमि से अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके, पेड़ सटीक दूरी पर सटीक पंक्तियों में लगे हुए हैं, जिसमें कतारें बहुत सुन्दर दिखाई देती हैं पेड़ो की कुल कतारों की लम्बाई 10 किलोमीटर हैं इनमें से लगभग 70% पेड़ फलों का उत्पादन देते हैं।  शेष बढ़वार में हैं, फलों का वार्षिक उत्पादन 800 क्विंटल है जो आगामी वर्षों में 1800 क्विंटल तक होने का अनुमान हैं।

वर्तमान में बाग़ से वार्षिक 15 लाख रुपये की आय है, जो आगामी वर्षों में 35 लाख होने का अनुमान है।

प्रत्येक पेड़ तक बूँद बूँद सिंचाई पद्दति से सिंचाई करने के लिए ड्रिप की लेटल बिछी हुई है; ड्रिप की लेटलों की कुल लम्बाई 27 किलोमीटर हैं।

सिंचाई एक 15 H. P. का विद्युत कुआ व 5 तथा 3 H. P. के दो सौर उर्जा चालित नलकूप हैं।

खरपतवार नियंत्रण व गुड़ाई हेतु 9 H.P. का डीजल इंजन चालित पॉवर टिलर है, जो चार फिट चौड़ाई व दस इंच गहराई तक की मिट्टी, खाद, खरपतवार को मिश्रित व समतल कर देता है।  जिसका खर्चा एक लीटर प्रति घंटे है, प्रति घंटे एक बीघा भूमि का काम निपटा देता है।  जिसकी कीमत एक लाख बीस हजार रुपये है यह बागवानी के लिए बहुत ही काम का यंत्र है।  बाग़ का प्रथम चरण सन् 2006 में शुरू किया गया था जो क्रमशः दिनों दिन प्रगति पर है बाग़ नवलगढ़ से 6 किलोमीटर दूर है।  नवलगढ़ के ऐतिहासिक भवनों के भीतरी चित्र को देखने जो पर्यटक आते है, उनमें से बहुत से देश विदेश के पर्यटक हरदेव बाग़ देखने जरूर आते हैं। तथा बाग की तारीफ करते हैं। व अपना आना सार्थक बताते है, कि इस मरुधरा में ऐसा भी बाग़ है।

बाग़ में उद्यान विभाग राजस्थान सरकार व N. G. O. मोरारका फाउंडेशन नवलगढ़ व सेवा ज्योति ट्रस्ट नवलगढ़ द्वारा समय समय पर कृषक दलों का भ्रमण करवाया जाता है। तथा यहाँ कृषकों के लिए सेमीनार आयोजित कर उनको प्रेरित किया जाता है कि सभी किसानों को हरदेव बाग़ का अनुसरण करना चाहिए व इस सरल तरीके से अपनी आय को कई गुना कर लेना चाहिए।

हरदेव बाग़ एवं उद्यान नर्सरी का उद्देश्य

 हमारा प्रमुख उद्देश्य है कि किसानों को एक मॉडल बाग़ की सरंचना मौके पर दिखाना, जिसमें 4000 फलदार पेड़ लगे हुए हैं, जो अनाज की खेती से दस गुना लाभदायक बना हुआ है।
२. बागवानी से किसानों, भूजल, व पर्यावरण का समब्लिकरण करना।
३. क्षेत्र विशेष के संसाधन एवं उपभोक्ताओं की मांग पर आधारित बागवानी को विकसित करना।
४. बागवानी से सबंधित सभी किसानों, विशेषज्ञों, सम्बन्ध विभागों, अनुसन्धान एवं प्रसार कर्ताओं को सहभागी उद्देश्यों के लिए जोड़ना।
५. बागवानी के लिए किसानों की तकनीकी जानकारी व दक्षता बढाना।
६. बागवानी के विकास का सम्पूर्ण ढांचा विकसित करना।
७. फलों के विक्रय हेतु विपणन सरंचना तंत्र व बाजार की जानकारी देना।
८. फलों के खाद्य प्रसंस्करण को प्रोत्साहित करना।

भारत में जनसँख्या विश्व में दूसरे नंबर पर है परन्तु यह भी ज्ञात होना चाहिए, कि यह जनसँख्या विस्तार केवल 1% वार्षिक है।  अंत: अनाज की मांग एक प्रतिशत से अधिक नहीं बढ़ सकती मनुस्य प्रतिदिन आधा किलों से अधिक अनाज नहीं खा सकता, जिसका अधिकतम मूल्य दस रूपए है।  जबकि वर्तमान समय में किसानों के अलावा अन्य उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बहुत बढ़ जाने के कारण व पोष्टिक आहार यथा फल, ज्यूस, ढूध, सब्जियां आदि पर अधिक खर्च करते हैं अत: फलों की मांग दिनों दिन बढती जाएगी।

एक कारण यह भी है कि कई वषों से कोल्ड ड्रिंक्स की एक उच्च स्तरीय इमेज बनी हुई थी, लोग कोल्ड ड्रिंक्स पीना प्रतिष्ठा समझते थे, लेकिन अब कोल्ड ड्रिंक्स के जहरीले अवगुण सार्वजनिक प्रकट होने पर उनके उपयोग के स्थान पर प्राकृतिक फलों का ड्रिंक्स पीना पसंद करते हैं।  आज हर शादी समारोह आदि में फलों के ज्यूस की भारी मांग है अत: फलों की मांग उतरोतर बढती जाएगी।

पानी बचाओ- पेड़ लगाओ-भविष्य बनाओ

आज अनाज की खेती में फायदा नहीं हो रहा है, अपना खेती करने का तरीका बदलिए फिर देखिये आपकी तकदीर बदलते देर नहीं लगेगी भरपूर कृषि उत्पादन के लिए हरित क्रांति तत्कालीन समय की आवश्यकतानुसार कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित व सरकार द्वारा पोषित महत्वपूर्ण क्रांति थी।  परन्तु वर्तमान समय में अनाज के बाजार मूल्य सूचकांक किसानों के विपरीत हो चुका है।  आओ किसान पुत्रों अपने कल्याण के लिए मिलकर एक नयी क्रांति करें उसका नाम है “रस-क्रांति”।

आओ सब मिलकर मरुधरा को रस धरा बनाएं अनाज की खेती छोड़कर फलदार पेड़ लगाए व एक लाख रुपये तक प्रति बीघा हर साल कमायें आधी लागत, आधी मेहनत व आधे पानी में अनाज से दस गुना कमायें।

किसान पुत्रों आप चांदी (अमूल्य भूजल) लुटाकर लोहा (सस्ता अनाज) पैदा कर रहे हो, आओ चांदी (अमूल्य भूजल) का सदुपयोग कर सोना (कीमती फल) पैदा करें।

आज से पच्चास साल पहले २ क्विंटल बाजरे की कीमत में एक तोला सोना आता था आज ३२ क्विंटल बेचने पर आता है।  अर्थात आज पहले की तुलना में १/१६ यानी एक रूपए के स्थान पर एक आने की कीमत का रह गया है किसान द्वारा उत्पादित अनाज और उसके साथ ही किसान का जीवन स्तर व उसका भविष्य किसान दिनों दिन गरीब होता गया।  अनाज की कीमत पर बाजार हावी होता रहा । क्योंकि अनाज ज्यादा पैदा कर दिया वर्तमान समय में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है।  आगे चलकर खेती करना व फव्वारा चलाना मुश्किल होगा।  अंत: हमे आज से उस स्थिति का मुकाबला करने के लिए कम पानी में ड्रिप पद्दति से बागवानी शुरू कर देनी चाहिए।

किसान भाइयों जितने पानी से हम एक बीघा में गेहूं की खेती करते है, उतने पानी में दस बीघा में बागवानी कर सकते हैं । एक बीघा में हम चार क्विंटल गेहूं पैदा करते है, उसका अधिकतम बाजार मूल्य आठ हजार रुपये है, उसी एक बीघा में हम बागवानी करके 40 क्विंटल फल पैदा कर सकते हैं । जिसका बाजार मूल्य 80 हजार से एक लाख रुपये तक होता है और इसमें पानी की बचत भी होती है।

बाजार मांग व पूर्ति के संतुलन पर कीमत तय करता है, अनाज की पूर्ति मांग से बहुत अधिक है जिसके कारण अनाज की कीमतें न्यून स्तर पर आ चुकी हैं।

हम उन चीजों की पूर्ति में क्यों लगें जिनकी पूर्ति पहले से बहुत ज्यादा है फलों की पूर्ति कम हैं, मांग ज्यादा है।  अंत: फल पैदा करें एवं ज्यादा लाभ पायें सीमित भूमि, सीमित पानी, किसान के लिए प्रतिकूल बाजार ने हमें बागवानी की ओर कदम बढ़ाने को प्रेरित किया और आज हम 35 बीघा में 4000 फलदार पेड़ों का बाग़ लगाकर सफल हैं।  और इसी तरीके से आपकी सफलता की कामना करते हैं।

हम बागवानी सिखाते है, हम से मिले हमें ख़ुशी होगी संपर्क में रहें आपको बागवानी सम्बन्धी सभी सेवायें देंगे पौधों का विवरण, लगाने का तरीका, देखभाल, रख रखाव, उत्पादन, विपणन आदि की जानकारी के लिए हमारे विशेषज्ञों से फोन से संपर्क में रहें।

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