पौधे लगाने का सही तरीका
१.सबसे पहले बागवानी के लिए एक एसा स्थान सुनिश्चित करे जहाँ पौधे के लिए उचित धूप और पानी की अछी व्यवस्था हो। उसके बाद मिट्टी की जांच अवश्य करवाएं, अगर आप की मिट्टी में पौषक तत्व की कमी हो तो कृषि विषशेज्ञ की राय लें।
२.उन्नत किस्मों के पौधे ही लगायें। अतः पौधे विश्वसनीय नर्सरी से ही मंगाए जाने चाहिए। ऐसी नर्सरी से पौधे नहीं लेना चाहिए जिससे मातृ वृक्ष (Mother Plants) न हो।
३.. जितनी गहराई तक पौधा नर्सरी में गमले में या पोलीथीन की थैली में था,पौधे को गड्ढे में उतनी गहराई में लगाइये। अधिक गहराई में लगाने से तने को हानि पहुँचती है और कम गहराई में लगाने से जड़े मिट्टी के बाहर जाती है, जिससे उनको क्षतिग्रस्त हो जाता है।
४.. पौधा लगाने से पूर्व उसके निचले हिस्से की पत्तियों को तोड़ देना चाहिए लेकिन ऊपरी भाग की पत्तियाँ लगी रहने दें। पौधों में अधिक पत्तियों के कारण वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) अधिक होता है अर्थात् पानी अधिक उड़ता है। शुरूआती दौर में जड़े क्रियाशील नहीं हो पाती है और पौधा उतने परिमाण में भूमि से पानी नहीं खींच पाता, अतः पौधे के अन्दर जल की कमी हो जाती है और पौधा मर भी सकता है।
५. पौधे का कलम किया हुआ स्थान अर्थात् मूलवृन्त और सांकुर डाली या मिलन बिन्दु (Graft Union) भूमि से ऊपर रखें। मिट्टी में दब जाने से वह स्थान सड़ने लग जाता है और पौधा मर सकता है।
६. पौधा लगाने के पश्चात् उसके आस-पास की मिट्टी अच्छी तरह दबा दे, जिससे सिंचाई करते समय या बाद में पौधा टेढ़ा न हो।
७.पौधा लगाने के तुरन्त बाद सिंचाई अवशय करें। जहाँ तक सम्भव हो पौधारोपण शाम को ही करे।
९. यदि पौधे दूर के स्थान से लाए गये हैं तो उन्हें पहले गमले में रखकर ५-७ दिनों के लिए छायादार स्थान में रख दे। इससे पौधों के आवागमन में हुई क्षति पूरी हो जाती हैं। इसके पश्चात् उन्हें गढ्ढों में लगाना चाहिए। तुरन्त ही गढ्ढे में लगा देने से पौधों के मरने की शंका रहती है।
पौधे जो भी लगाये जाएँ उनमें निम्नलिखित गुण होने चाहिए, यह अत्यन्त महत्वपूर्ण है:
1. पौधे की उम्र कम से कम एक वर्ष होनी चाहिए। दो वर्ष से अधिक उम्र के पौधे भी नहीं लगाना चाहिए, उनके मरने की अधिक संभावना रहती है।
2. पौधे यथासम्भव गूटी विधि से या कलिकायन या उपरोपण विधि से तैयार किये हुए होने चाहिए। ऐसे पौधे कलमी या ग्राफ्टेड (Grafted)पौधे कहलाते है। ऐसे पौधों में अपने पेतृक वृक्ष से कम से कम गुणों में विभिन्नता होती है। बीज से तैयार किए गये पौधे पैतृक गुणों को स्थिर नहीं रख पाते।
3. पौधों को किसी भी प्रकार के रोग से संक्रमित नहीं होने दें। रोग आने पे कृषि विषशेज्ञ की सहायता अवशय ले।
4. एक तने वाले सीधे, कम ऊँचाई वाले, फैले हुए उत्तम रहते है।
5. पौधों का मिलन बिन्दु (Graft Union) अच्छी तरह जुड़ा होना चाहिए।
6. कलिकायन या उपरोपण किए हुए पौधे में मिलन बिन्दु भूमि के कम से कम दूरी पर हो अर्थात् मूलवृन्त (Root Stock) का भाग या तना कम से कम लम्बाई का होना चाहिए।
7. पौधा ओजस्वी (Vigrous) तेजी से बढ़ता हुआ हो।
8. पौधा पोलीथीन या गमला में लगा हुआ हो। ऐसे पौधे लगाने पर कम मरते हैं।
9. यदि पौधे नर्सरी से उखाडे़ गये हो तो उनकी जड़ों में पर्याप्त मिट्टी का पिण्ड होना चाहिए।
नोट : यह सभी जानकारी हमारे व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर है।